समंदर के साथ दीवानगी की क़ीमत वह उसके खारेपन में तब्दील होकर चुकाती है। समंदर के साथ दीवानगी की क़ीमत वह उसके खारेपन में तब्दील होकर चुकाती है।
माता नदियाँ हैं सभी, वृक्ष पिता की छाँव। इनकी रक्षा सब करें, रहें शहर या गाँव।। माता नदियाँ हैं सभी, वृक्ष पिता की छाँव। इनकी रक्षा सब करें, रहें शहर या गाँव।।
कोई साथ नहीं चलता, कोई साथ नहीं चलता,
सुखी होली और दीवाली है दे दो हमको अमृत सा वर और करो न अब मनमानी। बरखा रानी, बरखा रानी बरसो झूम... सुखी होली और दीवाली है दे दो हमको अमृत सा वर और करो न अब मनमानी। बरखा रानी,...
ऐ जिंदगी कभी स्वपन, बुनने का मौका मुझे भी दे। ऐ जिंदगी कभी स्वपन, बुनने का मौका मुझे भी दे।
ख़ुश्बू की नदियाँ ख़ुश्बू की नदियाँ